प्रियंका झा
जनकपुरधाम, जेठ ।
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता अर्थात जतए नारीक सम्मान कएल जाइत अछि ओतही देवतासभ सेहो प्रफुल्लित होइत छथि ।
एहि वाक्यांशके मिथिला क्षेत्रमे प्राचिनकालेसँ हृदयंगम करैत आएल अछि । जकर स्पष्ट उदाहरण शिरद्धज जनकक सभाके लेल जा सकैत अछि ।
जनकक सभामे गार्गी, मैत्रेय जेहन विदुषीसभक उच्च सम्मान कएल जाइत छल ।
मुदा पछिला समयमे मिथिला क्षेत्रमे विभिन्न बहानामे नारीके प्रताडित करबाक घटनासभ बढैत जाएके क्रम जारी अछि ।
जाहि समाजमे नारीक सम्मान कएल जएबाक परम्परा सदियोसँ रहैत आएल अछि वएह समाजमे एहि किसिमक घटनासभ प्रश्रय पाएब सोचनीय विषय रहल अछि, एहन समयमे जानकी नवमीक महत्वके आत्मसाथ करबाक आवश्यकता देखलगेल अछि ।
मैथिलीक प्रसिद्ध कवि सियाराम झा सरस अपन एकटा कविताक पाँक्ति लिखने छथि मसँ मिथिला, म सँ महिला, म सँ महिला मान छै, महिलेक मानसँ पुरुषक माथ पाग छै । अर्थात महिलेके मानसँ पूरुषक पूरुषार्थ बचल अछि ।
जानकी आ मिथिला
जानकी नवमी अर्थात मिथिलाक आदर्श नारी माता जानकीक जन्म दिवस ।
वएह जानकी जिनकर नामसँ आइयो मिथिलाक शिर सर्वोच्च शिखर सगरमाथा जँका उच्चत्तम रहैत आएल अछि ।
जानकी नवमीक महत्व युवापुस्तासभ बिसरैत जा रहल समयमे पुनः जानकी नवमीक चर्चा जोडतोडके सँग उठए लागल अछि ।
माता जानकीक जन्म वैशाख महिनाक शुक्ल पक्षक नवमी तिथिक दिन पृथ्वीक गर्भसँ भेल मानल जाइत अछि ।
जानकी जे विभिन्न नामसभसँ जानल जाइत छथि एहिमेसँ माँ जानकीक एक नाम अछि अछि मैथिली, मैथिलीएसँ मिथिला शब्द अस्तित्वमे आएल अछि ।
मैथिलीएसँ मिथिलाक परिचय अछि कहल जाएत तऽ अनुचित नहि हएत कहैत छथि नेपाल संगित तथा नाट्य कला परिषदक प्राज्ञ रमेशरञ्जन झा । प्राज्ञ झा कहलन्हि एहि अर्थमे जानकी मिथिलाक परिचय दैत छथि ।
हुनके नामसँ मिथिलाक परिचय रहितो हुनका मात्र धार्मिक पात्रक रुपमे प्रस्तुत कएल जाइत अछि । मिथिला क्षेत्रमे नारीप्रतिक सम्मान बढाबएके लेल जानकीके सांस्कृतिक पात्रक रुपमे प्रस्तुत करब आवश्यक रहल झा बतौलन्हि ।
रामायणक इतिहास देखल जाए तऽ जानकी अपने पूरुषवादी सोचसँ प्रताडित भेलासँ जानकी नवमीक माध्यमसँ नारी प्रतिके सम्मान बढाबए सहायक सिद्ध नहि हएत प्राज्ञ झाक कथन छन्हि ।
तथापि जानकी अपन आदर्शक पथ त्याग नहि कएलीह । जानकी अपने प्रताडित होइतो हुनक जन्म दिवसके माध्यमसँ नारीक सम्मान करबाक लेल अभिप्रेरित अवश्य करत ओ कहलन्हि ।
जानकी जन्म
पुष्यान्वितायां तु कुजे नवम्यां श्रीमाधवे मासि सिते हलाग्रतः।
भुवोऽ चर्यित्वा जनकेन कर्षणे सीताविरासीद् व्रतमत्र कुर्यात।।
वाल्मिकी रामायणमे उल्लेख कएल ई मन्त्र माता जानकीक जन्म दिवसके व्याखा करैत अछि ।
हिन्दु पौराणिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, पारम्परिक, धार्मिक एवं चारित्रिक गरिमामे माता जानकीक नाम अग्र स्थानमे रहल छन्हि ।
मैथिल नारीक उच्चत्तम आदर्श छथि जनकनन्दनी माता जानकी । धर्मपरायणताकी पराकाष्ठा छथि माता जानकी ।
हिन्दु धार्मिक ग्रन्थ रामायणक बालकाण्डमे उल्लेख भेल अनुसार मिथिला १२ वर्षधरि अनावृष्टिक चपेटमे पड़ल छल, ओहि समयमे माता धर्ती सेहो पानिक एक बुन्दधरिके लेल त्राही त्राही कऽ रहल छलीह ।
जीवजन्तु, वृक्ष, मानव सभ पानि बिना विलय होबएकेँ अवस्थामे छल । ईएह क्रममे मिथिलाक राजा परम ज्ञानी शिरध्वज जनक अन्य ऋषिसभक परामर्श लऽ कऽ हर चलाबएके निर्णय कएलथि ।
धर्मग्रन्थसभक अनुसार राजा जनक जाहि दिन हर चलौलथि ओहि दिन वैशाख महिनाक शुक्ल पक्षक नवमी तिथि आ पुष्य नक्षत्र छल । ओ हर चलबैत भारतक सीतामढीस्थित पुनौराधरि पहुँचल छलथि ।
जखन राजा जनक हर चलबैत पुनौराधरि पहुँचलथि तऽ धर्ती माता आह्लादित होबए लगलीह, आकाशसँ देवतासभ पुष्प वृष्टि करए लगलथि ।
ओहिबीचमे राजा जनक हर चलबैतकाल हुनक हरक फार धर्तीनिचा रहल घैलसँ ठोकराएल ।
ओ घैलके निकालिते ओहिमेसँ एक दिव्य कन्या देखबामे आएल धर्मग्रन्थमे उल्लेख अछि ।
सन्तान सुखसँ बञ्चित रहल राजा शिरध्वज जनक भूमिपुत्री भूमिजाके अपना छातीसँ सटा गला लगौलथि । हरक फारके संस्कृतमे सीत कहल जाइत अछि । सीतक सहारासँ उत्पन्न भेलाक कारण राजा जनक दिव्य कन्याक नाम सीता रखलथि ।
राजा जनकक बेटी भेलाक कारण माता जानकीके जनक नन्दनी, वैदेही, किशोरी, मैथिली, भूमिजा आदि नामसँ जानल जाइत छथि ।
माता जानकीक विषयमे रामतापनीयोपनिषदमे कहल गेल अछि जानकी एहि श्रृष्टिक आनन्द दायिनी, सृष्टिक उत्पत्ति, स्थिति तथा संहारक अधिष्ठात्री छथि ।
श्रीराम सांनिध्यवशां ज्जगदानन्ददायिनी ।
उत्पत्ति स्थिति संहारकारिणीं सर्वदेहिनम ।।
वाल्मीकि रामायणक अनुसार माता जानकी भगवान रामसँ सात वर्ष छोट छलीह ।
ममभत्र्ता महातेजा वयसापंचविंशकस ।
अष्टादशा हि वर्षाणि मम जन्मति गण्यते ।।
रामायण तथा रामचरितमानसक बालकाण्डमे जानकीके उद्भवकारिणी स्वरुपक दर्शन मिलैत अछि ।
भगवान रामसंगक विवाह होबएधरि माता जानकीके सम्पूर्ण आकर्षक नारीक रुपमे चित्रण कएल गेल अछि । जानकीके करुणामयी आ क्षमाक प्रतिमूर्तिक रुपमे सेहो वर्णन कएल गेल अछि ।
ओहे अत्याचारी रावणक विनाशक कारण सेहो बनल ओ ग्रन्थसभमे उल्लेख रहल अछि ।
यद्यपि तुलसीदास माता जानकीके मात्रे एकटा कन्या तथा पत्नीक स्वरुपके दर्शौलन्हि अछि ।
तथापि वाल्मीकि माता जानकीके मातृस्वरुपके सेहो चित्रण कएने पाओल जाइत अछि ।
एहिसँ कि प्रमाणित होइत अछि तऽ माता जानकी एकटा आदर्श नारी, आदर्श छोरी, आदर्श पत्नी आ आदर्श माता छलीह ।
पूजन विधि
हिन्दू समाजमे राम नवमीक महत्व जतेक अछि ओतवे जानकी नवमीक महत्व अछि ।
जनकपुरधाम लगायतके क्षेत्रमे तऽ जानकी नवमीक महत्व आओर बेसी पाओल जाइत अछि ।
जानकी नवमीक लेल जनकपुरधामक जानकी मन्दिरमे उत्सवक लेल प्रत्येक वर्ष विशेष तैयारी कएल जाइत अछि ।
हिन्दु धर्मावलम्बीसभमे एहि दिन व्रत राखएके परम्परा सेहो रहल अछि । जानकी नवमीक व्रत कएलासँ पृथ्वी दानक फल प्राप्त हएबाक जनविश्वास रहल अछि ।
जानकी नवमी व्रत आ पूजाक लेल वैशाख अष्टमी तिथिक दिन सफा भऽ शुद्ध भूमिपर मण्डप बनेबाक चाही, जे मण्डप सोलह, आठ वा चारटा स्तम्भबला होएबाक चाही ।
मण्डपक मध्य भागमे आसन राखि कऽ माता जानकी आ भगवान श्रीरामक मूर्ति स्थापना करबाक चाही ।
वैशाख नवमी तिथिक दिन स्नान कऽ जानकी रामके श्रद्धापूर्वक पूजा करबाक चाही ।
श्री रामाय नमः’ तथा ’श्री सीतायै नमः मूल मंत्रक माध्यमसँ मन्त्रोचार कएलासँ माता जानकी खुसी हएबाक जनविश्वास अछि ।
’श्री जानकी रामाभ्यां नमः मंत्र द्वारा आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, पंचामृत स्नान, वस्त्र, आभूषण, गन्ध, सिन्दूर तथा धूपदीप एवं नैवेद्य आदि द्वारा श्रीरामजानकीक पूजा आ आरती करबाक चाही ।
दशमी तिथिक दिन फेर विधिपूर्वक भगवती जानकी आ भगवान रामक विसर्जन करबाक चाही । एहि प्रकार जानकी माताक पूजा करबाक विधि रहल अछि ।
जानकी नवमीक विषयमे युवा पुस्ताधरि सेहो जानकारी पहुँचाएब आवश्यक अछि ।
एहि पावनिके नारी सम्मानक दिवसके रुपमे मनएबाक चाही ।
मिथिलाक परिचय देबएबला पावनिसभमेसँ जानकी नवमी रहितो जानकीसंग सम्बन्धित पावनिसभमे एहि ठाम खासे महत्व देल नहि पाओल जाइत अछि ।
जानकी नवमी मात्र पावनिके रुपमे नहि भऽ जानकी जँका फेर कोनो नारी प्रताडित नहि हुए ओहिके प्रयास स्वरुप ई पावनि मनौनाई आवश्यक अछि ।
तखन जा कऽ मात्रे जानकी नवमीक यथार्थके सभकिओ आत्मसात् कऽ सकैत छथि ।
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